Life Changing Story in Hindi
Life Changing Story in Hindi
करूणा, शोभा के घर से बाहर निकाली, बाहर अंधेरी रात में उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, कहां जाये। एक तरफ उसने आगे की ओर देखा तो हॉस्पिटल दिखाई दिया।
वहां शोभा पता नहीं किस हाल में होगी? उस पर क्या बीत रही होगी? यह सोच कर उसके पैर हॉस्पिटल की ओर बढ़ गये। लेकिन तभी उसके हाथ में सूटकेश का ध्यान आया और करन का घिनौना चेहरा सामने आ गया।
करूणा ने सोचा – ‘‘शोभा कभी भी उसकी बात का विश्वास नहीं करेगी। करन अपनी इज्जत बचाने के लिये उस पर कुछ भी इल्जाम लगा देगा। जिसे गलत साबित करने के लिये उसके पास कोई सबूत नहीं है।’’
शोभा जैसी अच्छी सहेली को खोने का डर उसे था। लेकिन अब वह इस सब में दुबारा नहीं फसना चाह रही थी। नफरत हो गई थी उसे।
यही सब सोच कर उसके कदम रुक गये और दूसरी ओर मुड़ गये कुछ पैसे थे उसके पास एक अच्छी खासी रकम बैंक में भी थी। उसने अपना फोन निकाला और एक अच्छे होटल के लिये कैब बुक की।
कुछ ही देर में कैब आ गई वह उसमें बैठ कर होटल पहुंच गई। होटल पहुंच कर उसने चेकइन किया और होटल के रिशेप्शन पर हिदायत दी कि कोई भी उसके बारे में पूछे तो उसकी पहचान गुप्त रखी जाये।
अपने कमरे में पहुंच कर करूणा बेड पर बैठ कर बहुत देर तक रोती रही। आगे उसे अंधेरा ही नजर आ रहा था। आज तक उसने जो भी सहा है उसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। लेकिन एक बार फिर से वह बेसहारा हो चुकी थी।
उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। इतनी बड़ी दुनिया में कोई भी उसका अपना नहीं था। वह बहुत कुछ सोच रही थी। तभी उसे ख्याल आया कि जीना ही क्यों चाहती है। अब है कौन उसकी जिन्दगी में क्यों न मौत को ही गले लगा कर हमेशा के लिये इस सबसे पीछा छुड़ा ले।
बहुत देर तक यही सब विचार करती रही, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी यह कदम उठाने के लिये। घबराहट, चिड़चिड़ापन, अन्दर की घुटन ने उसे बहुत थका दिया। वह बेड पर लेटी अपनी पिछली जिन्दगी के बारे में सोच रही थी। पता नहीं कब उसे नींद आ गई।
सुबह करूणा की आंख खुली तो बारह बज चुके थे। वह जानती थी। शोभा उसे न पाकर बहुत परेशान हो रही होगी और करन को उसे ढूंढने भेजा होगा। लेकिन वह अब शोभा से भी मिलना नहीं चाह रही थी।
करूणा को कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह उठी तो सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा था। कल दोपहर से उसने कुछ खाया नहीं था और रात भर रोती रही।
करूण ने फोन पर नाश्ता ऑडर किया। कुछ ही देर में नाश्ता आ गया। करूणा ने नाश्ता किया। उसके बाद वह नहाने चली गई। कुछ ही देर में वह नहा-धो कर तैयार हो गई।
लेकिन अब उसे चिंता होने लगी थी। उसे जल्द ही कोई फैसला लेना होगा। होटल में कब तक रह सकती है।
आगे जीवन में क्या करना है? कहां जाना है? यही सब सोचते सोचते शाम हो गई। शाम को उसने खाना ऑडर किया। खाना उससे खाया नहीं गया। थोड़ा सा खाकर उसने वापस कर दिया।
बेड पर बैठे बैठे उसके मन में हजारो प्रश्न उठ रहे थे। एक बार मन किया जाकर शोभा से मिल आये। उसके इतने एहसान थे उस पर। लेकिन वह किस मुंह से उससे बात करेगी। कैसे उसके पति पर इल्जाम लगायेगी। उसके साथ ही अगर शोभा ने उसे उल्टा-सीधा सुना दिया तो वह बर्दाशत नहीं कर पायेगी।
शोभा अब उस पर बिल्कुल विश्वास नहीं करेगी।
कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। तो वह अपना फोन देखने लगी। फोन देखते देखते उसे सुबोध का नम्बर दिखाई दिया।
करूणा के मन में एक विचार आया क्यों न जिन्दगी को नये सिरे से शुरू किया जाये। सुबोध से बात करती हूं। शायद कहीं जॉब लगवा दे, इससे उसका सेवा करने का उद्देश्य भी पूरा हो जायेगा और जीने के लिये पैसे भी मिल जायेंगे।
वह सोच ही रही थी। तभी उसे ख्याल आया कि उसके पास तो कोई डिग्री या कोई कोर्स का सर्टिफिकेट तो है नहीं। उसे हॉस्पिटल में नौकरी कैसे मिलेगी।
यह सोच कर वह और परेशान हो गई। कुछ देर सोच विचार करने के बाद करूणा ने सोचा एक बार पूछने में क्या जाता है। सुबोध को तो उसके बारे में सब पता है।
करूणा ने सुबोध को फोन मिलाया – ‘‘सुबोध मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी।’’
सुबोध बहुत खुश हुआ बोला – ‘‘करूणा मैं तुम्हारे किसी भी काम आ सकूं तो मुझे बहुत खुशी होगी। बताओ क्या बात है?’’
करूणा ने सुबोध से कहा – ‘‘सुबोध मुझे नौकरी चाहिये थी। मैंने वो हॉस्पिटल और शोभा का घर छोड़ दिया है। मैं एक होटल में हूं। लेकिन यह बात किसी को बताना मत न ही इसका कारण पूछना। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?’’
सुबोध बोला – ‘‘करूणा तुम चिन्ता मत करो मैं कल ही अपने हॉस्पिटल में बात करता हूं। यहां बात नहीं बनी तो मेरी कई हॉस्पिटल में जान पहचान है कहीं न कहीं सेटिंग हो जायेगी।’’
करूणा ने हिदायत देते हुए कहा – ‘‘लेकिन सुबोध तुम तो जानते हो मेरे पास केवल एक्सपीरियंस है कोई डिग्री या सर्टिफिकेट नहीं है मेरे पास।’’
सुबोध ने भरोसा दिलाते हुए कहा – ‘‘चिंता मत करो मैं पूरी कोशिश करूंगा। मुझे बस एक दिन का समय दो और हां अगर कुछ पैसे वगैरहा या कोई और मदद चहिये हो तो बताओ।’’
करूणा ने कहा – ‘‘तुमने पूछा मुझे अच्छा लगा लेकिन मेरे पास पैसे हैं। तुम चिन्ता मत करो। बस एक बात याद रखना ये बात तुम्हारे और मेरे बीच रहनी चाहिये। क्योंकि मुझे पता है वे लोग मुझे ढूंढने निकलेंगे। मैं उन्हें बिना बताये निकल आई हूं।’’
सुबोध ने उसे तसल्ली दी कि वह किसी से यह राज नहीं खोलेगा।
सुबोध से बात करके करूणा को बहुत अच्छा लगा।
अगले दिन दोपहर को सुबोध का फोन आया – ‘‘करूणा मैंने अपने ही हॉस्पिटल में बात कर ली है। तुम एक बार यहां आकर मिल सकती हों। मैंने उन्हें सब बता दिया है। क्या तुम अभी आ सकती हों।’’
करूणा ने हां बोल दिया और वह तैयार होकर कुछ ही देर में सुबोध के हॉस्पिटल में पहुंच गई।
करूणा का इन्टरव्यूह चल रहा था। वह सारे सवालों के ढंग से जबाब दे रही थी। सुबोध भी उसके साथ था। सुबोध ने करूणा की जिम्मेदारी लेते हुए इन्टरव्यूह लेने वालों को मना लिया।
करूणा को तीन महीने के ट्रायल के लिये रखा गया। अगर उसका काम उन्हें ंपसंद आया तो वे उसे रख लेंगे।
करूणा बहुत खुश थी। इंटरव्यूह के बाद सुबोध, करूणा को बाहर तक छोड़ने आया।
सुबोध बोला – ‘‘करूणा मैं जानता हूं तुम बहुत सेवा भाव से काम करती हों। तुम तीन महीने में सबका दिल जीत लोंगी। अब रहने का क्या करना है।
होटल तो बहुत मंहगा पड़ रहा होगा। तुम कहो तो मैं अपने फ्लेट के आस पास कोई फ्लेट किराये पर लेने के लिये बात करूं। वहां से हॉस्पिटल भी पास पड़ेगा।’’
करूणा ने हां में सिर हिलाया।
सुबोध से विदा लेकर वह वापिस होटल आ गई।
उसी दिन शाम के समय सुबोध का फोन आया उसने बताया – ‘‘एक फ्लेट किराये पर मिल गया है। तुम चाहो तो देख लो।’’
करूणा ने बोला – ‘‘तुमने देख लिया तो ठीक ही होगा। मैं कल सामान लेकर आ जाती हूं। मैं अभी तुम्हें रेन्ट भेज देती हूं।’’
करूणा अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गई और होटल से चेकआउट करके सुबोध के बताये पते पर पहुंच जाती है।
सुबोध उसका पहले से ही इंतजार कर रहा था। करूणा को लेकर वह फ्लेट में पहुंच गया।
सुबोध बोला – ‘‘करूणा जल्दी में ऐसा ही ढूंढ पाया कुछ दिन यहां निकाल लो फिर कहीं ढंग का फ्लेट देख लेंगे।’’
करूणा बोली – ‘‘सुबोध तुमने मेरे लिये जो किया है। वह बहुत है। यह भी कोई बुरा नहीं है।’’
करूणा और सुबोध दोंनो नीचे आ जाते हैं। पास ही में हॉस्पिटल था। दोंनो अपने काम पर पहुंच जाते हैं। रास्ते में सुबोध करूणा को हॉस्पिटल के बारे में ज्यादा से ज्याद जानकारी देता जा रहा था। जिससे वह जल्द से जल्द काम समझ जाये।
शेष आगे …
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