Sad Story in Hindi
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एक दिन शाम के छः बजे शोभा हास्पिटल से घर के लिये निकल रही थी। तभी एक अन्जान नम्बर से फोन आया। पहले तो शोभा ने फोन काट दिया। लेकिन जब बार बार घंटी बज रही थी। तो बेमन से शोभा ने फोन उठाया।
दूसरी तरफ करूणा की आवाज सुनकर शोभा चौक गई। करूण बुरी तरह रो रही थी। शोभा बोली – ‘‘करूणा तू रो क्यों रही है कहां है तू बात बता तेरे पति कुछ कहा है क्या मुझे बात तो सही क्या हुआ?’’
लेकिन करूणा बड़ी मुश्किल से बस इतना कह पाई – ‘‘शोभा मैं बहुत मुसिबत में हूं। तू मुझे बचा ले मैं यहां गांव के बस स्टेंड पर हूं किसी से फोन मांग कर कर रही हूं। तू यहां आजा नहीं तो मैं मर जाउंगी।’’
शोभा ने यह सुनकर कहा – ‘‘तू चिन्ता मत कर वहीं रुक हम बस एक घंटे में पहुंच रहे हैं। तू जिनका फोन है उनसे मेरी बात करवा दे।
करूणा ने चाय वाले भैया को फोन दे दिया। शोभा – ‘‘भैया आप यहीं बस स्टेंड पर हो क्या ये मेरी जानने वाली है इसका ध्यान रखना हम बस अभी पहुंच रहे हैं। आपकी बहुत मेहरबानी होगी।’’
चाय वाला बोला -‘‘यह बहनजी बहुत देर से रो रही हैं। मेरी यहीं पर चाय की दुकान है। आप आ जाओ।’’
शोभा ने फटाफट करन को फोन किया। करन सारे काम छोड़ कर शोभा के पास पहुंच गया फिर दोंनो करूणा के बताये बस स्टेंड की ओर चल दिये। तभी करन ने कहा – ‘‘हमें तो पहुंचने में टाईम लग जायेगा। मेरा दोस्त सुनील वहीं रहता है मैं उसे वहां भेज देता हूं। तुम्हारे पास करूणा की फोटो हो तो मुझे भेज दो।’’
करण ने सुनील को फोन किया – ‘‘सुनील तेरी हेल्प चाहिये थी। तू अभी गांव के बस स्टेंड चला जा मैं तुझे फोटो भेज रहा हूं। यह शोभा की दोस्त है। बहुत परेशान है। हम वहां आ रहे हैं जब तक हम आयें इसका ख्याल रखना। कोई इसे नुकसान न पहुंचा पाये। बस हमारे आने तक संभाल ले।’’
सुनील ने जबाब दिया – ‘‘भाई चिन्ता मत कर मैं अभी दस मिनट में पहुंच रहा हूं और तेरी उनसे बात भी करा दूंगा।’’
यह सुनकर करन और शोभा को थोड़ी शांति मिली।
सुनील बाईक से फटाफट करूणा के पास पहुंच गया। वह चाय वाले के पास पहुंच करूण वहीं थी। लेकिन वह उसे पहचान न सका शोभा ने जो फोटो भेजी थी वो करूणा की शादी की थी। उसने चाय वाले से पूछा तो चाय वाले ने करूणा की ओर इशारा किया। पुरानी सी साड़ी पहने कमजोर सी एक औरत बैठी थी। सुनील ने फोटो को ध्यान से देखा तब समझ आया कि यह वही है।
सुनील – ‘‘बहन मुझे शोभा ने भेजा है आप ठीक तो हो। चिन्ता मत करो वो अभी आ रहे हैं।’’
यह सुनकर करूणा रोने लगी – ‘‘भैया मेरा देवर मुझे ढूंढता हुआ यहां आ जायेगा और जबरदस्ती मुझे ले जायेगा। मेरी मदद करो।’’
यह सुनकर सुनील ने कहा – ‘‘आप चिन्ता न करें मेरे रहते आप को कोई हाथ नहीं लगा सकता। मैं अभी आया। सुनील चायवाले से चाय और नमकीन का पैकेट करूणा के लिये लाया करूणा चाय पीने लगी। जब वह चाय पी चुकी तब सुनील ने कहा – ‘‘आप आराम से बैठ्यिे मैं अभी आपकी बात करवाता हूं।’’
सुनील ने करन का नम्बर डॉयल किया और करूणा को दे दिया। दूसरी तरफ शोभा बोल रही थी – ‘‘करूणा अब बता क्या बात है?’’
करूणा बहुत डरी हुई थी। उससे कुछ बताया नहीं जा रहा था। वह बोली – ‘‘बस बहन तू यहां आ जा फिर तुझे सब बताउंगी।’’ यह कहकर करूणा ने फोन सुनील को पकड़ा दिया।
शोभा – ‘‘भैया इसने कुछ बताया क्या?’’
सुनील ने जबाब दिया – ‘‘भाभी यह बहु डरी हुई हैं। इन्होंने बस इतना बताया कि इनका देवर इन्हें ढूंढता हुआ यहां आ जायेगा और जबरदस्ती ले जायेगा। आप चिन्ता मत करो मैंने अपने चार पांच दोस्तों को बुला लिया है। हमारे रहते कोई इन्हें छू भी नहीं सकता। आप आराम से आ जाओ।’’
यह सुनकर शोभा ने कहा – ‘‘भैया आपका बहुत बहुत धन्यवाद ये मेरी बचपन की सहेली है। दो साल से इससे कोई कान्टेक्ट नहीं हो पाया। बस कुछ देर और इसका ध्यान रखिये हम बस पहुंच ही रहे हैं।’’
सुनील बोला – ‘‘अरे भाभी ये भी तो मेरी बहन जैसी हैं। आप चिन्ता मत करें आराम से आयें।’’
शोभा ने फोन काट दिया और करन से बोली – ‘‘बात समझ में नहीं आ रही उसका देवर क्यों उसके साथ जबरदस्ती कर रहा है। उसका पति कहां है। करूणा ने बताया था कि उसका देवर तो गुडा टाईप का है। सारे दिन शराब पीकर पड़ा रहता है। लेकिन इसके पीछे क्यों पड़ा है। लगता है इसका पति कहीं काम से बाहर चला गया होगा।’’
करन ने शोभा को समझाते हुए कहा – ‘‘शोभा चिन्ता मत करो अभी आधे घंटे में हम पहुंच जायेंगे। फिर करूणा से अच्छे से पूछ लेना। फोन पर न वो बता पयेगी न तुम कुछ समझ पाओंगी। वैसे भी अब उसका देवर कुछ नहीं कर पायेगा। सुनील को मैं जानता हूं। वह अखाड़ा चलाता है। उसके अखाड़े के लड़के वहां पहुंच गये होंगे। उन्हें देख कर उसका देवर सामने भी नहीं आयेगा।’’
शोभा बहुत परेशान थी – ‘‘हे भगवान करूणा मिली भी तो किस हाल में बेचारी के जीवन में कोई न कोई परेशानी खड़ी ही रहती है। मुझे तो इसके पति पर गुस्सा आ रहा है। जब उसे पता है कि इसके माता पिता हैं नहीं और खुद का भाई गुडा है तो उसे अकेला क्यों छोड़ दिया। अपने साथ शहर ही ले जाता।’’
करन और शोभा इसी तरह बातें करते करते बस स्टेंड पहुंच गये। शोभा जैसे ही करूणा के पास पहुंची वह उसे देख कर दंग रह गई। कितनी कमजोर हो गई थी करूणा। एक पुरानी सी साड़ी पहने हाथ में एक कपड़े का पुराना सा बैग। कुछ देर के लिये तो शोभा उसे देखती ही रह गई। कुछ बोल नहीं पाई फिर उसने कहा – ‘‘करूणा’’।
करूणा जो अभी सर झुकाये बैठी थी। शोभा की आवाज सुनकर जैसे उसमें जान आ गई। वह शोभा को देख कर रोने लगी और उससे लिपट गई – ‘‘बहन तू आ गई मुझे बचा ले नहीं तो ये लोग मुझे मार डालेंगे।’’
शोभा ने करूणा को कस कर जकड़ लिया और बोली – ‘‘कोई तुझे हाथ भी नहीं लगा सकता मैं आ गई हूं अब सब ठीक हो जायेगा। मैं तुझे कब से ढूंढ रही थी। एक फोन नहीं कर सकती थी मुझे। मुझे न तो तेरी ससुराल का पता मालूम था न तेरी ताई ने गांव का नाम बताया। वरना मैं तुझ तक पहुंच जाती।’’ एक ही सांस में शोभा ने सब कह दिया।
करूणा बस रोय जा रही थी। वह कुछ बता नहीं पा रही थी। तभी करन ने कहा – ‘‘शोभा इन्हें घर ले चलो अभी कुछ मत पूछो यहां से निकलते घर पहुंच कर बात करेंगे। ये बहुत डिप्रेसन में हैं।’’
शोभा ने हां में सर हिलाते हुए करूणा को गाड़ी में बैठाया। करूणा को गाड़ी में बैठा कर शोभा और करन ने सुनील का धन्यवाद दिया और करूणा को लेकर घर की ओर चल दिये।
शेष आगे …
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