Beti ki Kahani
Beti ki Kahani
शोभा शहर आकर अपने काम में लग जाती है। इसी तरह समय बीत रहा था। एक दिन शोभा गांव आती है।
शोभा अपनी मां से बात करती है – ‘‘मां मैंने एक लड़का शहर में पसंद कर लिया है। वह भी डॉक्टर है और मेरे ही अस्पताल में नौकरी करता है।’’ शोभा की मां कहती है – ‘‘वो तो ठीक है बेटा पर मैं एक बार लड़के से मिलना चाहती हूं। तू उसे किसी दिन खाने पर बुला ले। वैसे तो तुम दोंनो समझदार हो पर मुझे उससे मिलना है।’’
शोभा बहुत खुश होती है वह करन को फोन पर सारी बात बता देती है और घर आने के लिये कह देती है। तय समय पर करन अपने पिता के साथ उनके घर पहुंच जाता है। बातचीत का सिलसिला चलने लगता है। सारी बातें तय हो जाने पर दोंनो की शादी पक्की हो जाती है।
शादी की तारीख पक्की होने पर शोभा करूणा से मिलने गांव आती है। शोभा करूणा से मिलती है – ‘‘करूणा तुझे मेरी शादी में शहर आना होगा।’’ करूणा यह सुनकर थोड़ा उदास हो जाती है – ‘‘शोभा तुझे शादी की बहुत बहुत बधाई हो, लेकिन मैं मां को अकेला छोड़ कर आ नहीं सकती।’’
यह सुनकर शोभा को बहुत बुरा लगा – ‘‘करूणा एक दिन निकाल ले किसी तरह किसी को मां के पास छोड़ देना।’’ करूण ने लाचारी भरी नजरों से शोभा को देखा – ‘‘शोभा तू तो जानती है हमारा कोई साथ नहीं देता मुझे इस बात का हमेशा अफसोस रहेगा’’
यह सुनकर शोभा बोली – ‘‘कोई बात नहीं मैं समझ सकती हूं। मैं शादी के बाद तुझसे मिलने जरूर आउंगी।’’
कुछ ही दिनों में शोभा की शादी हो जाती है। शोभा अपनी गृहस्थी में बिजी हो जाती है एक दो बार वो गांव गई भी लेकिन करूणा से मिलने का समय उसे नहीं मिल पाया, क्योंकि उसके पति करन के पास समय नहीं होता था। वो उनके साथ ही गाड़ी में वापस आ जाती थी।
एक दिन शोभा घर पर ही थी आज उसकी ड्यूटी नहीं थी। तभी उसे करूणा की याद आती है। अपनी सहेली से मिलने की इच्छा को वो दबा नहीं पाती वो करण को फोन करती है – ‘‘करण मैं दो दिन के लिये गांव जाना चाहती हूं।’’
करण हस कर जबाब देता है – ‘‘क्या हुआ मां की याद आ रही है’’
शोभा उन्हें समझाते हुए कहती है -‘‘नहीं मेरी एक सहेली है गांव में वो बेचारी शादी में भी नहीं आ पाई उसी से मिलने जाना है।’’
करन कहता है – ‘‘चलो कल चलते हैं। मैं कल की छुट्टी ले लेता हूं।’’ शोभा मुस्कुरा कर कहती है -‘‘नहीं मैं अकेली चली जाउंगी और दो तीन दिन बाद ही वापस आउंगी।’’ करन उसकी पर पर सहमत हो जाता है।
करूणा से मिलने के उत्साह में शोभा जल्दी जल्दी अपने कपड़े पैक कर दोपहर की गाड़ी से गांव पहुंच जाती है। अचानक शोभा को देख कर उसकी मां पूछती है – ‘‘बेटी अचानक कैसे आ गई?’’ शोभा हस कर जबाब देती है – ‘‘मां कुछ नहीं बस ऐसे ही मन कर रहा था। शादी के बाद एक बार भी करूणा से नहीं मिल पाई। सोचा उससे मिल कर बहुत सी बातें करूंगी।’’
यह सुनकर शोभा की मां उदास हो गई और बोली – ‘‘अच्छा किया बेटा जो उससे मिलने आ गई उसका आखिरी सहारा उसकी मां को भी भगवान ने उससे छीन लिया। अभी तीन दिन पहले ही उसकी मां चल बसी। बिल्कुल अकेली हो गई है। उपर से उसके ताउ ने पन्द्रह दिन बाद उसकी शादी पक्की कर दी है।’’
यह सुनकर शोभा को गहरा धक्का लगा। वह जल्दी से घर से बाहर निकल कर गांव की गलियों को पार करके करूणा के घर के सामने पहुंच गई। घर के सामने दरी बिझी थी कुछ लोग वहां बैठे थे। शोभा करूणा को ढूंढती हुई अन्दर चली गई। आंगन के सामने बरामदे में करूणा को घेरे गांव की कुछ औरते बैठी थीं।
‘‘करूणा’’ शोभा ने उसे पुकारा। शोभा को देख कर करूणा की जैसे चीख निकल गई शायद कोई शोक लहर जिसे वो अभी तक दबाये बैठी थी। उभर कर सामने आ गई।
करूणा झट से रोती हुई आंगन में खड़ी शोभा के गले लग गई। शोभा की आंखों से भी आंसू बह रहे थे। करूणा ने उसे कस के पकड़ रखा था – ‘‘शोभा मां चली गई, सब खत्म हो गया, मैं अकेली रह गई’’ बार बार यही बातें करूणा दोहराह रही थी।
शोभा उसे किसी तरह पकड़ कर बरामदे में ले गई उसे बैठाया – ‘‘करूणा तू चिंता मत कर मैं हूं न तेरे साथ’’ करूणा को बहुत देर तक दिलासा देती रही। अब शोभा को समझ में आया कि क्यों इतने दिन बाद अचानक करूणा की याद आई जो उसे बैचेन कर गई। करूणा के दिल की आवाज शोभा तक संदेशा बन कर पहुंच गई।
काफी देर बैठने के बाद शोभा ने करूणा से पूछा – ‘‘तूने कुछ खाया?’’ करूणा ने बड़ी मुश्किल से जबाब दिया – ‘‘शोभा बिल्कुल मन नहीं है ऐसा लगता था जैसे मां के साथ मेरे प्राण भी निकल जायें लेकिन तूझे देख कर लगा कि मेरा कोई अपना है। क्या तू कुछ दिन मेरे पास रुक सकती है?’’
शोभा ने उसके आंसू पौछते हुए कहा – ‘‘चिन्ता मत कर मैं अभी यहीं हूं। पर तुझे खाना खाना होगा। भूखे रहने से तो तू बीमार पड़ जायेगी। तुझे मेरी दोस्ती की कसम खाना खा ले।’’
करूणा के बार बार मना करने पर भी शोभा ने उसे जबरदस्ती खाना खिलाया। रात के समय जब करूणा सो गई तब उसकी ताई से शोभा ने कहा ‘‘ताईजी इसे मत बताना कि मैं जा रही हूं। सुबह जल्दी ही आ जाउंगी।’’
ताई जी ने शोभा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – ‘‘बेटी सुबह जरूर आ जाना तेरे आने से इसकी जान में जान आ गई बड़ी हिम्मत बंध गई तुझसे।’’ करूणा को सोता छोड़ कर शोभा घर आ गई लेकिन उसकी आंखों से नींद कोसो दूर भाग गई थी। अब करूणा का क्या होगा? यह सवाल बार बार उसे परेशान कर रहा था।
शेष आगे …
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